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क्रिया द्वारा आयोजित

यौनिकता, जेंडर एवं अधिकार – एक अध्ययन

नवंबर 1 – नवंबर 5, 2023

नई दिल्ली

आवेदन की अंतिम तिथि: अक्टूबर 5, 2023

‘यौनिकता, जेंडर एवं अधिकार – एक अध्ययन’ क्रिया द्वारा संचालित, पांच दिन का आवासीय अध्ययन कार्यक्रम है। यह प्रशिक्षण नवंबर 1 – नवंबर 5, 2023 संचालित किया जा रहा है |

यह प्रशिक्षण, इस श्रृंखला की अठारवी कड़ी है | इस कार्यक्रम में समुदाय आधारित संस्थाओं में कार्यरत महिलाओं को यौनिकता, अधिकार, जेंडर और यौन एवं प्रजनन स्वास्थ के वैचारिक सिद्धांतों से अवगत करवाया जाता है एवं इनके सांस्कृतिक, सामाजिक और कानूनी मामलों के बीच के जुड़ाव, विश्लेषण और परस्पर सम्बन्ध के बारे में जानकारी दी जाती है। इस कार्यक्रम में यौनिकता, जेंडर एवं अधिकार से सम्बंधित हिंदी संसाधन सामग्री भी उपलब्ध होगी |

आयोजक

वर्ष 2000 में स्थापित, क्रिया नई दिल्ली में स्थित एक अंतर्राष्ट्रीय नारीवादी मानव अधिकार संस्था जो समुदाय, राष्ट्रीय, क्षेत्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर काम करती है। क्रिया मानव अधिकार आन्दोलनों के विभिन्न भागीदारों के साथ मिलकर महिलाओं और लड़कियों के अधिकारों को आगे बढ़ाने और सभी लोगों की यौनिक और प्रजनन स्वास्थ्य व अधिकारो के मुद्दों पर कार्य करती है। क्रिया राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय मंचों पर सकारात्मक सामाजिक बदलाव के लिए पैरवी करती है और कोशिश करती है की एक्टिविस्ट्स और पैरवीकारों को ट्रेनिंग और सीखने के कई तरह के मौके मिले |

कार्यक्रम में लगातार जुड़े कुछ प्रशिक्षक

शालिनी  सिंह – महिला मुद्दों के क्षेत्र में गत 23 वर्षों से कार्य कर रही हैं एवं पिछले 15 साल से वे क्रिया के साथ कार्य करते हुए सभी हिंदी प्रशिक्षणों को संचालित करती हैं | क्रिया में शालिनी महिला संस्थाओं के नेटवर्क के क्षमता वृद्धि का कार्य करते हुए, नारीवादी नेतृत्व , महिला हिंसा, जेंडर, यौनिकता और अधिकार से जुड़े कानून पर प्रशिक्षण देने के साथ वह क्रिया के समुदाय आधारित कार्यक्रम ‘मेरी पंचायत मेरी शक्ति’ का भी नेतृत्व करती है । शालिनी हिंदी में महिला हिंसा, जेंडर, यौनिकता और अधिकार के मुद्दे पर लिखती है। सामlजिक विज्ञान की शैक्षिक पृष्ठभूमि के साथ शालिनी एक वकील और प्रशिक्षित काऊंसलर है।

दीप्ता  भोग – दीप्ता भोग निरंतर संसथान की फाउंडर मेम्बर है | इन्होंने एक पत्रकार और महिला अधिकार  के एक्टिविस्ट के रूप में कार्य किया है |  महिला साक्षरता  मुद्दे वयस्क और बालिका शिक्षा और ग्रामीण पत्रकारिता को लेकर उनके पास दो दशकों से ज्यादा का कार्य अनुभव है । उन्होंने इस क्षेत्र में प्रोग्राम बनाने, लागू करने और निति निर्माण के स्तर पर कार्य किया है | इन्होने गहनता से स्कूल की किताबो का नारीवादी नज़रिये से अध्ध्यन किया है और राजकीय और राष्ट्रीय स्तर के लेखन  पर भी कार्य किया है | शिक्षा में जेंडर के विषय पर वे 2004 के राष्ट्रीय करिकुलम फ्रेमवर्क बनाने की कमिटी से जुडी थी | दीप्ता ने ग्रामीण क्षेत्रो में कायर्रत गैरसरकारी संस्थाओ में महिला नेतृत्व के विषय पर स्टडी  किया है । “खबर लहरिया” को 2002 में शुरू करने में उनका बड़ा योगदान रहा है और ग्रामीण क्षेत्र के महिला पत्रकारों के प्रशिक्षण से भी जुड़ी हुई है |

हसीना खान – हसीना खान को भारत की सबसे अधिक दिखाई देने वाली, साहसी और प्रभावी कार्यकर्ताओं में से एक के रूप में पहचाना जाता है, जो सामान्य रूप से महिलाओं के अधिकारों और विशेष रूप से मुस्लिम महिलाओं के अधिकारों के मुद्दों और सवालों को उठाती हैं। वह आवाज़-ए-निस्वान की एक सक्रिय सदस्य थीं, एक संगठन जो मुंबई में मुस्लिम महिलाओं को उनकी आवाज़ सुनने और उनके अधिकारों की मांग करने का अधिकार देता है। वह भारत में एलजीबीटी (LGBT) आंदोलनों की सक्रिय भागीदार भी हैं और सामुदायिक स्तर पर यौन अल्पसंख्यकों की चिंताओं पर काम करती हैं। वह महत्वपूर्ण रूप से राष्ट्रीय स्तर पर मुस्लिम महिलाओं और समलैंगिक व्यक्तियों के अधिकारों के सवाल उठाती हैं। वह बेबाक कलेक्टिव (वॉयस ऑफ फियरलेस) की संस्थापक सदस्य हैं। बेबाक कलेक्टिव (वॉयस ऑफ द फियरलेस) एक अभियान समूह है जो मुख्य रूप से मुंबई से काम कर रहा है और एक अंतर्विरोधी नारीवादी दृष्टिकोण से कट्टरवाद और दमनकारी ताकतों के खिलाफ लड़ रहा है।

निधि गोयल – निधि गोयल भारत में विकलांग व्यक्तियों के नेतृत्व और अधिकारों के लिए काम करने वाले प्रमुख गैर-लाभकारी संगठन राइजिंग फ्लेम की संस्थापक और कार्यकारी निदेशक हैं। वह अनुसंधान, लेखन, वकालत और कला के माध्यम से राष्ट्रीय, क्षेत्रीय और वैश्विक स्तर पर एक दशक से अधिक समय से विकलांगता अधिकारों और यौनिक न्याय पर काम कर रही हैं। उन्हें नेशनल ह्यूमन राइट्स कमीशन इंडिया द्वारा विकलांग व्यक्तियों के कोर ग्रुप में नियुक्त किया गया है, फेडरेशन ऑफ इंडियन चैंबर्स ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री की विविधता और समावेशन टास्क फोर्स पर है, और डच मंत्रालय द्वारा अनुदान बनाने वाली परियोजना – वॉयस के सलाहकार बोर्ड में बैठती है  । उन्होंने भारत के भीतर और विश्व स्तर पर विकलांग महिलाओं और युवाओं को शामिल करने को बढ़ावा देने के लिए बहु-हितधारक और क्रॉस मूवमेंट कार्य, प्रभावित नीतियों और प्रणालियों का नेतृत्व किया, ग्राउंड ब्रेकिंग रिसर्च की रचना की। उन्होंने एक अग्रणी वैश्विक महिला अधिकार संगठन – AWID- को सबसे कम उम्र की और पहली बार विकलांग राष्ट्रपति के रूप में संचालित किया है, और संयुक्त राष्ट्र महिला कार्यकारी निदेशक के पूर्व वैश्विक सलाहकार के रूप में शामिल करने में बहुत बड़ी प्रगति की है। उनके नेतृत्व और काम को भारत सरकार, नेशनल एसोसिएशन फॉर द ब्लाइंड, एबीपी न्यूज और सुर ऑप्टिमिस्ट मुंबई सहित अन्य लोगों द्वारा सराहा और सम्मानित किया गया है।

अन्य जुड़े प्रशिक्षक

रेनू मिश्रा – रेनू मिश्रा एसोसिएशन फॉर एडवोकेसी एंड लीगल इनिशिएटिवस ट्रस्ट (AALI) में कार्यकारी निदेशक हैं। एक अनुभवी वकील के रूप में, वह दो दशकों से महिला अधिकारों और सशक्तिकरण के क्षेत्र में सक्रिय हैं। उनका काम महिलाओं और बच्चों के लिए न्याय तक पहुंच सुनिश्चित करने पर केंद्रित है। वह नारीवादी परामर्श, केसवर्क रणनीति, लिंग आधारित हिंसा में सामाजिक-कानूनी हस्तक्षेप और महिलाओं के सामाजिक-आर्थिक और नागरिक और राजनीतिक अधिकारों को बढ़ावा देने में माहिर हैं।

रचना मुद्राबॉयिना – रचना मुद्राबॉयिना एक ट्रांस एक्टिविस्ट और तेलंगाना हिजड़ा इंटरसेक्स ट्रांसजेंडर समिति के संस्थापक सदस्यों में से एक हैं। वह ‘ट्रांसविज़न’ नाम से एक यूट्यूब चैनल की स्थापना की, जो समाज में ट्रांसजेंडर लोगों के बारे में मिथकों और गलत धारणाओं को दूर करता है और ट्रांसजेंडर लोगों के मुद्दों की उचित वैज्ञानिक, ऐतिहासिक और कानूनी पृष्ठभूमि देता है। वह विभिन्न सरकारी और गैर सरकारी संस्थानों के साथ काम किया है।

प्रतिभागी और चुनाव

वह सभी व्यक्ति जो खुद को महिला मानते हैं और संरचनात्मक रूप से हाशियाग्रस्त समूह में शामिल होते हैं और सामाजिक बदलाव के मुद्दों पर कम से कम 2 साल से कार्य कर रहे हैं, इस प्रशिक्षण के लिए आवेदन कर सकते हैं। सभी सत्र और प्रशिक्षण से जुड़े अध्ययन के लिए लेख हिंदी में होंगे | इस प्रशिक्षण के दौरान भी व्यक्तिगत या समूह में पढ़ने की आवश्यकता हो सकती है ।अतः सभी प्रतिभागियों को हिंदी में पढ़ना और लिखना आना आवश्यक है |

क्रिया आपसे निवेदन करती है की जल्द से जल्द अपने आवेदन पत्र हमें भेजें | आवेदन पत्र और कार्य अनुभव के आधार पर 25-30 प्रतिभागी चुने जायेंगे। सभी प्रतिभागियों को पूरे कार्यक्रम के दौरान दिल्ली में उपस्थित रहना पड़ेगा।

यह पाठ्यक्रम दिल्ली में 1 से 5 नवंबर 2023 को आयोजित किया जा रहा है | क्रिया की तरफ से आपके रहने की व्यवस्था की जाएगी आपसे अपेक्षा की जाती है कि  नवंबर की शाम तक आप दिल्ली पहुँच जाएँ और अपने जाने की व्यवस्था अक्टूबर 31, 2023 को शाम 5 बजे के बाद करें। कार्यक्रम की अधिक जानकारी हम आपके साथ सिलेक्शन प्रोसेस के बाद साझा करेंगे। केवल चुने गए प्रतिभागियों को 13 अक्टूबर, 2023 तक चयन की सूचना भेजी जाएगी।

प्रशिक्षण शुल्क

यह प्रशिक्षण निःशुल्क है | क्रिया, सहभागियों के रहने व खाने का प्रबंध करेगी | आने जाने का टिकट (2nd A/C ट्रेन) का भुगतान  भी क्रिया द्वारा किया जायेगा |

तिथि और स्थान

यौनिकता , जेंडर एवं अधिकार – एक अध्ययन पर यह कार्यक्रम 1-5 नवंबर किया जाएगा । इन दिनों यह प्रशिक्षण हर दिन चलेगी। इसके अलावा प्रतिभागियों को समय निकालकर ग्रुप वर्क एवं ग्रुप अध्ययन में जुड़ना पड़ सकता है।

आवेदन

आवेदन पत्र हमें 5 अक्टूबर, 2023 तक या उससे पहले पहुँच जाने चाहिए | निर्धारित तिथि के बाद कोई भी आवेदन पत्र स्वीकार नहीं किये जायेंगे | केवल चुने हुए प्रतिभागियों को चुनाव की सूचना 13 अक्टूबर,2023 तक भेजी जायेगी | 

विशेष: चयन की प्रक्रिया, प्रतिभागियों के मिल रहे आवेदनों के साथ ही शुरू हो जायेगी । आपसे अनुरोध है की जल्द से जल्द प्रशिक्षण के लिए आवेदन पत्र भेजें ।

एक्सेसिबिलिटी (सरल) उपयोग

इस कॉल के सुलभ संस्करण यहां देखे जा सकते हैं: (पीडीएफ) और (वर्ड)। आवेदक यहाँ (पीडीएफ) और (वर्ड) फॉर्म के सुलभ संस्करण भी पा सकते हैं, जिसे वे डाउनलोड कर, भरकर, स्कैन कर sgrihindi@creaworld.org पर ईमेल भी कर सकते हैं।